कोटद्वार, 3 जून 2025: उत्तराखंड के बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड में कोटद्वार की अपर जिला एवं सत्र न्यायालय ने 30 मई 2025 को तीनों आरोपियों—पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर, और अंकित गुप्ता—को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। 19 वर्षीय अंकिता भंडारी की 18 सितंबर 2022 को हत्या कर दी गई थी, और उनके शव को 24 सितंबर को ऋषिकेश के चिल्ला नहर से बरामद किया गया। कोर्ट में पेश व्हाट्सएप चैट्स ने खुलासा किया कि अंकिता को रिसॉर्ट में ‘विशेष सेवाएं’ देने के लिए दबाव डाला जा रहा था, जिसके विरोध में उन्होंने अपनी जान गंवाई। हालांकि, अंकिता के पिता वीरेंद्र भंडारी और मां सोनी देवी इस फैसले से संतुष्ट नहीं हैं और हाईकोर्ट में फांसी की सजा की मांग करेंगे।
व्हाट्सएप चैट्स और हत्या की कहानी
अंकिता भंडारी (Ankita Bhandari Murder Case) पौड़ी जिले के यमकेश्वर में वनंतरा रिसॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट थीं। अभियोजन के अनुसार, रिसॉर्ट मालिक पुलकित आर्य, जो पूर्व बीजेपी नेता विनोद आर्य के बेटे हैं, ने अंकिता पर VIP मेहमानों को ‘विशेष सेवाएं’ देने के लिए दबाव बनाया। कोर्ट में पेश व्हाट्सएप चैट्स ने इस दबाव को उजागर किया, जिसमें अंकिता ने लिखा, “मैं गरीब हूं, लेकिन क्या मैं खुद को 10,000 में बेच दूंगी?” एक अन्य चैट में उन्होंने अपनी परेशानी जाहिर की, जिससे साफ था कि वे इस दबाव के कारण रिसॉर्ट छोड़ना चाहती थीं। 18 सितंबर 2022 की शाम, गवाहों ने अंकिता को फोन पर रोते हुए कहते सुना, “प्लीज मुझे यहां से ले जाओ।” उसी रात, अभियोजन के मुताबिक, पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर, और अंकित गुप्ता ने अंकिता को चिल्ला नहर में धक्का दे दिया, जिससे उनकी मौत हो गई।
कोटद्वार की अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश रीना नेगी ने 47 गवाहों और 500 पेज की चार्जशीट के आधार पर तीनों आरोपियों को दोषी ठहराया। पुलकित आर्य को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 302 (हत्या), 201 (साक्ष्य छिपाने), 120B (आपराधिक साजिश), 354A (यौन उत्पीड़न), और अनैतिक व्यापार निवारण अधिनियम (ITPA) के तहत दोषी पाया गया। उन्हें आजीवन कारावास के साथ ₹72,000 का जुर्माना लगाया गया। सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता को भी धारा 302, 201, और ITPA के तहत उम्रकैद और ₹62,000 का जुर्माना सुनाया गया। कोर्ट ने सरकार को अंकिता के माता-पिता को ₹4 लाख मुआवजा देने का भी आदेश दिया।
अंकिता के पिता वीरेंद्र भंडारी और मां सोनी देवी ने फैसले को “अधूरा न्याय” बताया। सोनी देवी ने कहा, “यह जीत बड़ी लग सकती है, लेकिन मैं संतुष्ट नहीं हूं। दोषियों को फांसी मिलनी चाहिए ताकि कोई दूसरा ऐसा जघन्य अपराध करने से पहले सौ बार सोचे।” वीरेंद्र भंडारी ने कहा, “मेरी बेटी के हत्यारों को मौत की सजा चाहिए। हम इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देंगे।” परिवार ने उत्तराखंड की जनता का उनके समर्थन के लिए आभार जताया और हाईकोर्ट में कानूनी लड़ाई की तैयारी शुरू कर दी है।
सोशल मीडिया पर आक्रोश
X पर इस फैसले ने तीखी प्रतिक्रियाएं उकसाईं। @azizkavish ने लिखा, “अंकिता की व्हाट्सएप चैट्स ने साफ कर दिया कि वह अश्लील प्रस्तावों से परेशान थी। यह हत्या इंसानियत पर कलंक है।” @DoubleTroubl001 ने टिप्पणी की, “पुलकित आर्य ने सत्ता और पैसे के नशे में अंकिता को मार डाला। उम्रकैद काफी नहीं, फांसी चाहिए।” सौरभ भास्कर के कोर्ट से बाहर हंसते हुए पोज देने का वीडियो भी viral हुआ, जिसने जनता और परिजनों के गुस्से को और भड़काया। @ndtvindia ने पोस्ट किया, “अंकिता भंडारी हत्याकांड में तीनों दोषियों को उम्रकैद। #AnkitaBhandari” #JusticeForAnkita और #AnkitaBhandari hashtags ट्रेंड कर रहे हैं।
मामले का बैकग्राउंड और जांच
अंकिता भंडारी, पौड़ी के डोभ-श्रीकोट गांव की रहने वाली, अगस्त 2022 में वनंतरा रिसॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के तौर पर शामिल हुई थीं। 18 सितंबर को उनके गायब होने के बाद पुलकित आर्य ने खुद patwari को missing complaint दर्ज की, लेकिन बाद में जांच में उनकी संलिप्तता सामने आई। 22 सितंबर 2022 को पुलिस ने तीनों आरोपियों को गिरफ्तार किया, और SIT ने 100 से ज्यादा गवाहों के बयानों के आधार पर 500 पेज की चार्जशीट दाखिल की। मुकदमा जनवरी 2023 से शुरू हुआ और दो साल आठ महीने तक चला। इस केस ने उत्तराखंड में women’s safety और hospitality sector में exploitation के मुद्दों को उजागर किया।
आगे क्या?
कोटद्वार कोर्ट के फैसले ने अंकिता के लिए कुछ हद तक न्याय सुनिश्चित किया, लेकिन परिजनों और supporters की मांग है कि दोषियों को फांसी दी जाए। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा, “यह संदेश देता है कि अपराध का कोई भुगतान नहीं।” हालांकि, सौरभ भास्कर की कोर्ट से बाहर बेशर्मी ने जनता के गुस्से को और बढ़ाया। अंकिता के परिवार की हाईकोर्ट में अपील इस मामले को और गति देगी, और यह देखना बाकी है कि क्या दोषियों को death penalty मिलेगी। यह केस उत्तराखंड और देशभर में workplace safety और women’s rights की बहस को और तेज कर रहा है।